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आम का मौसम

मिर्जा गालिब से लेकर बॉलीवुड के कई अभिनेता इस 200 साल पुराने दशहरी आम के पेड़ को देखने पहुँचे हैं

मिर्जा गालिब से लेकर बॉलीवुड के कई अभिनेता इस 200 साल पुराने दशहरी आम के पेड़ को देखने पहुँचे हैं

पुरे विश्व में स्वयं की भीनी-सोंधी खुशबू एवं मीठे स्वाद की वजह से प्रसिद्ध दशहरी आम की खोज 200 वर्ष पूर्व ही हुई थी। लखनऊ के समीप एक गांव में आज भी दशहरी आम का प्रथम पेड़ उपस्थित है साथ बेहद प्रसिद्ध भी है। आम तौर पर लोग गर्मी के मौसम की वजह से काफी परेशान ही रहते हैं। परंतु, एक ऐसा फल है, जिससे गर्मियों का मजा दोगुना कर देती हैं। उस फल का नाम है आम जिसको सभी फलों का राजा बोला जाता है। जी हां, भारत में आम की बागवानी बड़े स्तर पर की जाती है। भारत की मिट्टी में आम की हजारों किस्मों के फल स्वाद लेने को उपस्थित हैं। लेकिन यदि हम देसी आम की बात करें तो इसकी तरह स्वादिष्ट फल पूरे विश्व में कहीं नहीं मिल पाएगा। सभी लोगों की जुबान पर दशहरी आम का खूब चस्का चढ़ा हुआ है। यूपी में ही दशहरी आमों की पैदावार होती है। बतादें कि केवल यहीं नहीं अन्य देशों में भी इस किस्म के आमों का निर्यात किया जाता है। साथ ही, आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि दशहरी आम का नामकरण एक गांव के नाम के आधार पर हुआ था।

इस आम का नाम दशहरी आम क्यों रखा गया था

यूपी के लखनऊ के समीप काकोरी में यह दशहरी गांव मौजूद है। ऐसा कहा जाता है, कि दशहरी गांव के 200 वर्ष प्राचीन इस वृक्ष से सर्वप्रथम दशहरी आम प्राप्त हुआ था। ग्रामीणों से मिलकर इस आम का नामकरण गांव दशहरी के नाम पर हुआ था। वर्तमान में 200 वर्ष उपरांत भी ना तो इस दशहरी आम के स्वाद में कोई बदलाव आया है और ना ही वो पेड़, जिससे विश्व का प्रथम दशहरी आम प्राप्त हुआ था। ये भी पढ़े: नीलम आम की विशेषताएं (Neelam Mango information in Hindi)

इस पेड़ के आम आखिर क्यों नहीं बेचे जाते

फिलहाल, दशहरी आम लखनऊ की शान और पहचान बन चुका है। देश के साथ-साथ विदेशी लोग भी इसका स्वाद चखते हैं। हर एक वृक्ष द्वारा काफी टन फलों की पैदावार हांसिल होती है। परंतु, विश्व का पहला दशहरी आम देने वाला पेड़ अपने आप में भिन्न है। वर्तमान में 200 वर्ष उपरांत भी यह वृक्ष भली-भांति अपनी जगह पर स्थिर है। आम के सीजन की दस्तक आते ही इस बुजुर्ग वृक्ष फलों के गुच्छे लद जाते हैं। परंतु, तेवर ही कुछ हटकर है, कि इस वृक्ष का एक भी फल विक्रय नहीं किया जाता है। मीडिया खबरों के मुताबिक, दशहरी गांव में इस आम के पेड़ को नवाब मोहम्मद अंसार अली ने रोपा था और आज भी उन्हीं के परिवारीजन इस पेड़ पर स्वामित्व का हक रखते हैं। इसी परिवार को पेड़ के सारे आम भेज दिए जाते हैं।

दशहरी आम कैसे पहुँचा मलीहाबाद

दशहरी गांव के लोगों का कहना है, कि बहुत वर्ष पूर्व इस दशहरी आम की टहनी को ग्रामीणों से छिपाकर मलीहाबाद ले जाया गया। जब से ही दशहरी आम मलीहाबादी आम के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। ग्रामीणों की श्रद्धा को देखकर आप भी दंग रह जाएंगे। वह इसको एक चमत्कारी वृक्ष मानते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, कुछ वर्ष पूर्व यह वृक्ष पूर्णतयः सूख गया था। समस्त पत्तियां पूरी तरह झड़ गई थीं। परंतु, वर्तमान में सीजन आते ही 200 साल पुराना यह वृक्ष आम से लद जाता है।

मिर्जा गालिब भी इस दशहरी आम के मुरीद रहे हैं

जानकारी के लिए बतादें, कि दशहरी गांव फिलहाल मलीहाबाद क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मलीहाबाद के लोगों का कहना है, कि कभी मिर्जा गालिब भी कोलकाता से दिल्ली की यात्रा किया करते थे। तब मलीहाबादी आम का स्वाद अवश्य चखा करते थे। वर्तमान में भी बहुत से सेलेब्रिटी दशहरी आम को बेहद पसंद करते हैं। दशहरी गांव के लोगों का कहना है, कि भारतीय फिल्म जगत के बहुत से अभिनेता इस वृक्ष को देखने गांव आ चुके हैं। दूसरे गांव से भी लोग इस वृक्ष को देखने पहुँचते हैं। इसकी छांव के नीचे बैठकर ठंडी हवा का आंनद लेते हैं। सिर्फ इतना ही नही लोग इस पेड़ की यादों को तस्वीरों में कैद करके ले जाते हैं।
मालदा आम के किसानों को झटका, मात्र तीन रुपये किलो बिक रहे हैं ये आम

मालदा आम के किसानों को झटका, मात्र तीन रुपये किलो बिक रहे हैं ये आम

गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है। इस मौसम के शुरू होते ही देश में आम की बहार आ जाती है। इन दिनों बाजार में बंगाल का मशहूर मालदा आम आने लगा है। लेकिन आम की फसल आने के साथ ही मालदा आम के किसानों को बड़ा झटका लगा है। पश्चिम बंगाल में यह आम मात्र 3 रुपये किलो बिक रहा है। जिससे किसान बेहद परेशान हैं और उन्हें लंबा घाटा लग रहा है। मालदा आम की गिरती हुई कीमत को देखते हुए मंडियों में भी व्यापारी इसे खरीदने से कतरा रहे हैं। अभी बाजार में कच्चे मालदा आमों की भारी आवक हो रही है। कच्चे मालदा आम का उपयोग आचार बनाने में किया जाता है। अगर पिछले कई सालों के रिकार्ड को देखा जाए तो ये आम अच्छी खासी कीमत पर बिकते थे। लेकिन इस साल इन आमों के दाम नहीं मिल पा रहे हैं। पानी के आभाव में ये आम पेड़ से सूखकर नीचे गिर रहे हैं, इससे इनकी क्वॉलिटी पर फर्क पड़ रहा है। यह भी एक कारण है जिसकी वजह से आम के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। पहले इस आम की बाजार में कीमत 50 रुपये किलो तक होती थी, लेकिन इस साल इनकी कीमत 3 रुपये किलो से भी कम है। जिसके कारण किसानों के साथ-साथ व्यापारी भी निराश हैं। भीषण गर्मी के कारण फसल भी खराब हो रही है। जिसके कारण किसानों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है।

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मालदा आम को फाजली आम के नाम से भी जानते हैं। इसका उत्पादन मुख्य तौर पर पश्चिम बंगाल में किया जाता है। यह आम की बेहद लोकप्रिय किस्म है, जो खासकर मालदा जिले में उगाई जाती है। बढ़ती हुई मांग और अच्छे भाव के कारण अब इस आम की किस्म की खेती बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी की जाने लगी है। यह आम बेहद स्वादिष्ट आमों में से गिना जाता है। मालदा आम हरे-पीले और कई जगहों पर लाल रंग में भी पाया जाता है। यह बेहद रसीला आम होता है, जिसमें रेशे होते हैं। इसका स्वाद मीठा होता है और यह साइट्रस गुणों से भरपूर होता है। वर्तमान में मालदा जिले की लगभग 33,450 हेक्टेयर भूमि पर इस आम की खेती की जाती है। जो लगातार बढ़ रही है। हर साल इस आम के रकबे में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है। इस आम की भारत के साथ-साथ विदेशों में भी मांग है, इसलिए इसे बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है। पश्चिम बंगाल के लोगों का कहना है कि इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को मालदा आम बेहद पसंद थे, इसलिए वो हर साल भारत से ये आम मंगवाया करती थीं। पश्चिम बंगाल के लोग कहते हैं कि जो व्यक्ति एक बार मालदा आम खा लेता है, उसे फिर दूसरे आम पसंद नहीं आते।